शेयर मार्किट से जुडी जानकारी- Share market knowledge in Hindi

Share market knowledge in Hindi. शेयर द्वारा शेयर बाजार में निवेश कर लाभ कमाना मुश्किल नहीं है। इसमें यह फैसला करना पड़ता है कि किस कंपनी के शेयर खरीदे जाएं। लाभ कमाने वाली कंपनी के शेयरों की खरीदारी से लाभ की आशा अधिक होती है। जो निवेशक विवेकी होता है, वह समझदारी के साथ शेयर खरीदता है और लाभ प्राप्त करने में सफल भी होता है। दीर्घ अवधि में दूसरी सभी संपत्तियों की तुलना में शेयर से सबसे ज्यादा कमाई होती है।

तात्पर्य यह है कि आप बांड, फिक्स्ड डिपॉजिट, सुवर्ण या जमीन-जायदाद में निवेश करके जितना लाभ प्राप्त कर सकते हैं, उससे कहीं अधिक लाभ (मुनाफा) शेयर बाजार में निवेश करके प्राप्त कर सकते हैं। किंतु यह भी सच्चाई है कि शेयर के साथ जोखिम भी जुड़ा होता है, लेकिन यदि लंबे समय तक निवेश रखने में यकीन करते हैं तो आपको मुनाफा हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता। दरअसल शेयर किसी कंपनी में आंशिक स्वामित्व (भागीदारी) हासिल करने का एक तरीका है।

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“शेयर होल्डर” क्या होता है : (Share market knowledge in Hindi )

किसी भी कंपनी के शेयर खरीदना तथा उन शेयरों को फिर बेच देना निवेश की गतिविधियां हैं। वह निवेशक जो इच्छित कंपनी के शेयर खरीद लेता है, वह उस कंपनी का “शेयर होल्डर” कहा जाता है। यहां यह ध्यान में रखने वाली बात है कि शेयर होल्डर “इक्विटी होल्डर” या “इक्विटी शेयर होल्डर” कहलाता है। किसी कंपनी के शेयर खरीदने का मतलब है कि शेयर होल्डर उस कंपनी का आंशिक भागीदार या हिस्सेदार बन रहा है। इस प्रकार के पूंजी-निवेश में कंपनी की हिस्सेदारी से जुड़े फायदे , तो कंपनी के व्यापार से जुड़े जोखिम भी बहुत हैं। कंपनी के शेयर खरीदना और ” बेचना निवेश की गतिविधियां हैं।

जो कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज की सूची में दर्ज हैं, उनके शेयर स्टॉक एक्सचेंज ” में खरीदे या बेचे जाते हैं। इसके निमित्त निवेशक ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज की सूची में दर्ज शेयरों की खरीद तथा बिक्री आसानी से कर सकता है। एक और तरीका भी है, जिसमें निवेशक अन्य शेयर होल्डरों से अथवा सीधे कंपनी से शेयरों को खरीद सकता है।

आई०पी०ओ० क्या होता है | What is IPO in Hindi

पहली बार जब कंपनी अपने शेयर आम निवेशकों के समक्ष पेश करती है और निवेशकों को शेयर खरीदने का अवसर प्रदान करती है, तो उसे आई०पी०ओ० ? कहते हैं। इसका सीधा-सादा अर्थ है “इनीशियल पब्लिक ऑफर”। उसके बाद आने वाले समस्त ऑफर पब्लिक इश्यू कहलाते हैं। तात्पर्य यह है कि जब भी कोई कंपनी न पूंजी एकत्र करने के लिए शेयरों को जारी करती है, तो इसे आई०पी०ओ० कहते हैं।

जिन आवेदकों को शेयरों का आबंटन होता है,शेयरों की सूचीबद्धता के बाद शेयर बाजार के द्वारा उन्हें खरीदा या बेचा जा सकता है। ऐसे सौदों को सेकंड्री मार्केट कहा जाता है और जब कंपनी अपने विद्यमान शेयरधारकों को शेयर प्रस्तावित करती है, तो वह राइट निर्गम कहा जाता है, जिसमें शेयरधारकों को अपने शेयरों के अनुपात के आधार पर कंपनी के नए शेयरों में आवेदन करने का अधिकार मिल जाता है। किंतु इन नए शेयरों के लिए आवेदन करना उसका दायित्व नहीं बनता।

शेयरों को आबंटित करना ( Share Allotment in Hindi )

प्राइमरी मार्केट में कंपनी द्वारा पब्लिक इश्यू या इनीशियल पब्लिक ऑफर लाए जाने पर प्रोस्पेक्टस (विवरण-पत्र या पत्रिका) तथा शेयर फॉर्म जारी किए जाते हैं। आवेदन करने के लिए निवेशक शेयर एप्लीकेशन फॉर्म जमा करते हैं। यदि शेयरों की आवेदित संख्या कंपनी द्वारा प्रस्तुत शेयरों की संख्या के बराबर है या उससे कम है, तब इस हालत में हर एक निवेशक द्वारा आवेदित किए गए शेयर आबंटित कर दिए जाते हैं।

यदि आवेदित शेयरों की संख्या कंपनी द्वारा जारी किए शेयरों की संख्या से अधिक हैं, तब शेयरों का आबंटन स्टॉक एक्सचेंज से विमर्श करके किया जाता है। किंतु यदि आवेदनों की संख्या कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या से कई गुना अधिक है, तब शेयरों का आबंटन लॉटरी सिस्टम द्वारा किया जाता है।

एप्लीकेशन मनी (Share market knowledge in Hindi )

आवेदन करते समय नए इश्यू में निवेशक को जो पूंजी देनी पड़ती है, वह “एप्लीकेशन मनी” यानी “आवेदन शुल्क” कहलाती है। यह पूंजी आवेदित किए गए शेयरों की पूरी कीमत अथवा आंशिक मूल्य हो सकती है। आंशिक मूल्य होने की स्थिति में आबंटन के समय शेष पूंजी चुकानी पड़ती है।

प्राइमरी मार्केट का मतलब ( Primary market in Hindi )

प्राइमरी मार्केट का मतलब है—प्राथमिक बाजार ! जब कोई कंपनी अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के निमित्त नवीन शेयर या डिबेंचर जारी करके निवेशकों से सीधे धन को प्राप्त करती है, तो ऐसा वह कंपनी प्राइमरी मार्केट के करती है।

दूसरे शब्दों में कंपनी नए इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) प्राइमरी मार्केट में लाकर नए शेयर/डिबेंचर जारी करती है। जबकि प्राइमरी मार्केट के विपरीत सेकंड्री में विभिन्न कंपनियों द्वारा पहले से जारी किए गए शेयर / डिबेंचर या अन्य प्रतिभूतियों (सिक्यूरिटीज) का लेन-देन होता है।

इंडेक्स क्या है? ( what in Index in Hindi )

इंडेक्स मार्केट (सूचकांक बाजार) के रुख का पता लगाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज का प्रयोग किया जाता है। इससे यह जानकारी हो जाती है कि शेयर के मूल्यों (कीमतों) में कितनी गिरावट आई है या उनमें कितनी तेजी आई है। लेकिन यह शेयर मूल्यों का औसत नहीं है। शेयर के मूल्यों में वृद्धि के समय यह उसी अनुपात में ऊपर चढ़ता है; जबकि शेयर के मूल्यों में गिरावट के बाद इसमें गिरावट का आना स्वाभाविक है।

(Share market knowledge in Hindi )

प्रायः कभी-कभी ऐसा भी होता है कि विस्तृत शेयरधारकों वाले लोग एक शेयर के मूल्य में मामूली बढ़त से अधिक प्रभावित नहीं होते हैं, जबकि बहुत से शेयरधारक शेयर के मूल्यों में भारी बढ़त के बाद भी प्रभावित नहीं होते हैं। यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज NSE (एन०एस०ई०) पचास शेयरों का, जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज BSE (बी०एस०ई०) तीस शेयरों का होता है।

स्टॉक एक्सचेंज क्या है? ( what is stock Exchange in Hindi )

परंपरागत रूप से स्टॉक एक्सचेंज ब्रोकर्स (दलाल) तथा मार्केट-स्पेशलिस्ट्स (बाजार-विशेषज्ञों) का एसोसिएशन (समिति) है। आम जनता तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा सिक्यूरिटीज की ट्रेडिंग (खरीद-फरोक्त) का नियमतः संचालन करने के लिए इसकी स्थापना की गई है। इसे स्टॉक मार्केट भी कहते हैं।

यह बाजार सभी विक्रेताओं और क्रेताओं को संगठित करता है। स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों का व्यापार केवल लिस्टेड सिक्यूरिटीज (सूचीबद्ध प्रतिभूतियों) में ही होता है। देश के बड़े-बड़े शहरों में स्टॉक एक्सचेंज विद्यमान हैं।

“बोनस शेयर” क्या होते हैं | ( Bonus share kya hota hai )

कंपनी जब लगातार लाभ अर्जित करने वाली होती है, तो प्रत्येक वर्ष लाभ में से कुछ भाग शेयरधारकों को लाभांश के रूप में वितरित करती रहती है। शेष लाभ का भाग जब संचित (जमा ) होता है और उस संचित राशि का पूंजीकरण करके उस राशि से अपने विद्यमान शेयरधारक को निर्धारित किए गए अनुपात में शेयर निःशुल्क आबंटित किए जाते हैं, तो इसे “बोनस शेयर” कहा जाता है।

शेयर मार्किट में पैसा बनाने का साधारण सूत्र

शेयर मार्केट में पैसा बनाने का साधारण सूत्र वो ही है कि खरीदो कम में और बेचो ज्यादा में। अधिकतर निवेशक बार-बार इस नियम को खुद ही तोड़ देते हैं। जब मार्केट (बाजार) में तेजी होती है, निवेशक अवसर का लाभ उठाने के लिए शेयर बेचने की ओर मुड़ जाते हैं। एक पुरानी कहावत है, जो चढ़ता है, वही गिरता है। बाजार में जब कोई गलत खबर आती है , तब निवेशकों में घबराहट फैल जाती है और वे जल्दबाजी में आकर शेयर घाटे में बेचने लगते हैं।

यदि आप ऐसे निवेशक हैं, जो अपने निवेश को प्रतिदिन बढ़ते ही देखना चाहते हैं और बहुत ही कम समय के लिए गिरावट सह नहीं सकते, तो समझ लेना चाहिए कि आपको निराशा होगी। वस्तुतः शेयर बाजार गिरने और चढ़ने के लिए ही चढ़ेंगे और गिरेंगे। यदि अर्थव्यवस्था मजबूत है और कंपनियों के राजस्व में खासी बढ़ोत्तरी हो रही है, तब यह स्पष्ट है कि आज नहीं तो कल इसका असर बाजार में भी दिखेगा।

ब्लूचिप शेयर ( Blue chip share in Hindi )

विशेषकर उन कंपनियों के शेयर ब्लूचिप शेयर कहलाते हैं, जो इंवेस्टर्स को अधिक लाभ प्रदान करते हैं तथा उनमें निवेश करना सुरक्षित और अच्छा माना जाता है। ऐसी कंपनियां बहुत प्रसिद्ध, आकार में बड़ी, कुशल प्रबंधकों व संचालकों द्वारा संचालित, तकनीक में विकसित और विकासोन्मुख होती हैं। ये कंपनियां शेयरधारकों को अच्छा लाभांश देती हैं। ऐसी प्रमुख लोकप्रिय कंपनियों के शेयर, जो पिछले कई वर्षों से लगातार उन्नति कर रहे हों तथा भविष्य में भी और विकास होने की संभावना हो, ऐसी कंपनियां “ब्लूचिप कंपनियां” और इनके शेयरों को “ब्लूचिप शेयर” कहते हैं।

प्राइज अर्निंग रेशियो क्या होता है ( P.E Ratio in Hindi)

किसी कंपनी के शेयर का प्राइज अर्निंग अनुपात (P.E. Ratio) शेयर का मूल्य व उस पर होने वाली आय का संबंध स्थापित करता है। P.E. अनुपात निवेशक के लिए एक विश्वसनीय संकेत है। इससे निवेश-संबंधी निर्णय लेने में अधिक सुविधा मिलती है। प्रति शेयर आय (अर्निंग प्राइज शेयर) भी एक सर्वमान्य संकेत है, जिससे ज्ञात होता है कि प्रति शेयर पर निवेशक को कितनी आय होती है। प्रायः निवेशक मुख्य रूप-से कंपनी की प्रति शेयर आय की ओर ही अधिक ध्यान देता है और वह उनको धनराशि में प्राप्त कर रहा है, यह गणना करने में प्राइज अर्निंग अनुपात का प्रयोग किया जाता है।

P.E Ratio formula

कंपनी की मौजूदा शेयर कीमत / प्रति शेयर आय ( Market price of the share/ Earning per share )

इस अनुपात से ज्ञात होता है कि शेयर की आय से कितने गुना शेयर का मूल्य है। उदाहरण के लिए, एक कंपनी के शेयर का पी०ई०(P.E) छह है, तो इसका आशय है कि शेयर का मूल्य उसकी आय का छह गुना है तथा यह संभावना है कि यदि कंपनी की प्रति शेयर आय अपरिवर्तित रहे, तो आगामी दो से पांच वर्षों में शेयरधारक को शेयर में निवेश किए गए धन की वापसी उस पर लाभांश या पूंजी वृद्धि के कारण मिल जाएगी। जितना अधिक पी०ई० अनुपात कम होगा, निवेश धनराशि उतनी ही जल्दी शेयरधारक को वापस मिल जाएगी [पी०ई० अनुपात से कंपनी की सुदृढ़ता, अच्छी ख्याति का पता चलता है।

इक्विटी शेयर होल्डर ( Equity share Holder )

इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के भलाई व्से नुकसान से सीधा जुड़ा होता है और कंपनी के लाभ-हानि का उस पर सीधा प्रभाव पड़ता है। यों इस तरह के शेयर को आमतौर पर ऑर्डिनरी शेयर ( ordinary share ) के नाम से जाना जाता है। जब वह इस तरह के शेयर खरीदता है, तो उसका लाभ कंपनी के लाभ से जुड़ जाता है।

यदि कंपनी में हानि होती है, तो इससे उसके शेयरों का मूल्य प्रभावित होता है और शेयरधारक को हानि भी होती है। कंपनी के लाभ कमाने पर ही उसे लाभ होता है। इसे कंपनी की मेंबरशिप के रूप में परिभाषित किया जाता है और इसे कंपनी के निर्णयों पर अपनी राय और मत देने का अधिकार प्राप्त होता है।

प्रिफरेंशियल शेयर ( Preferential share )

इस शेयर पर एक निश्चित दर से लाभांश प्राप्त करने की सुविधा मिलती है तथा शेयरधारक को लाभ में से सबसे पहले हिस्सा किंतु शेयरधारक को कंपनी का हिस्सा नहीं माना जाता है। लाभ के आधार पर प्रिफरेंशियल शेयर को क्रमशः तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) नॉन-क्युमूलेटिव प्रिफरेंशियल शेयर – ( Non-cumulative preferential share )

किसी कारणवश यदि कंपनी पहले वर्ष में लाभ नहीं कमाती है, तो इस स्थिति में शेयरधारक दोनों वर्ष में लाभ को प्राप्त करने का दावा नहीं कर सकता है।

(2) क्युमूलेटिव प्रिफरेंशियल शेयर –

कंपनी किसी कारण से यदि प्रथम वर्ष में लाभ नहीं कमाती है और दूसरे वर्ष में लाभ की स्थिति में आ जाती है, तो इस स्थिति में शेयरधारक दोनों वर्ष का लाभ प्राप्त करने का दावा पेश कर सकता है।

3) टिडीम्ड क्युमूलेटिव प्रिफरेंशियल शेयर—

इस प्रकार के शेयरधारक को उसकी पूंजी निश्चित समय के पश्चात लाभ के साथ लौटा दी जाती है। तात्पर्य यह कि शेयरधारक का कपना से जुड़ाव अल्पकालिक होता है और पूरी तरह से कंपनी की इच्छा पर निर्भर करता है।

शेयर सर्टिफिकेट ( Share market knowledge in Hindi )

शेयर सर्टिफिकेट वह डॉक्यूमेंट है, जो कंपनी द्वारा निर्गमित किया जाता है और उस पर शेयरधारक का नाम, शेयरों की संख्या व कंपनी की सार्वमुद्रा (कॉमन सील) अंकित रहती है। यह शेयरधारक के द्वारा खरीदे गए कंपनी के शेयरों की संख्या के अनुपात में कंपनी के स्वामित्व में भागीदार (हिस्सेदार) होने का प्रमाण है। शेयरों का हस्तांतरण करते समय में इस सर्टिफिकेट (प्रमाण-पत्र) का महत्व अधिक है।

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